आजकल अपने जीवन में कृतज्ञता को बढ़ाने के बारे में बात करना आम हो गया है। सोशल मीडिया पर भी आभार व्यक्त करने के बारे में लोग सामान्य रूप से बात करते हुए नज़र आ रहे हैं। अध्ययन दिखाते हैं कि जो लोग सहज रूप से आभार प्रकट करने के आदि होते हैं वे लोग न सिर्फ ज्यादा स्वस्थ महसूस करते हैं, बल्कि स्वस्थ गतिविधियों में उनके हिस्सा लेने और बीमार पड़ने पर इलाज कराने की संभावना भी ज्यादा होती है। शोधकर्ताओं ने अपने विभिन्न अध्ययनों में पाया कि कृतज्ञता का भाव ट्रौमा से उबरने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। 

2006 में प्रकाशित एक अध्ययन में यह बताया गया है कि वियतनाम युद्ध के दौरान जिन सैनिकों में कृतज्ञता का स्तर ज्यादा था, उन्होंने पोस्ट ट्रौमेटिक डिसॉर्डर का कम अनुभव किया। कृतज्ञता विषाक्त भावनाओं को रोकती है, जिनसे दीर्घकालीन बीमारियां हो सकती हैं। इसमें हृदय रोग भी शामिल हैं। 

जब आप अपना दिन आभार प्रकट करने के साथ शुरू करते हैं, तो आप बाधाओं के नहीं, अवसरों के प्रति खुलेंगे। आप शिकायत के प्रति नहीं, बल्कि सृजनात्मकता के प्रति आकर्षित होंगे। आप नकारात्मक विचारों के प्रलोभन से बचेंगे, जो आपके विकल्पों को सिकोड़ते हैं और आप विकास करने के नये तरीके खोजने लगते हैं।

अतः जीवन में जो कुछ भी आपको मिला है उसके प्रति कृतज्ञता का भाव उत्पन्न करें तथा नित्य प्रति अपने माता पिता और ईश्वर के प्रति आभार व्यक्त करने का रवैया अपनाएं। और केवल माता पिता ही नहीं बल्कि आपके परिवार के सभी सदस्य आपके आभार के हकदार होते हैं। आपको किसी से कुछ भी लाभ हुआ हो तो उसके लिए उसे धन्यवाद ज्ञापित ज़रूर करें। ऐसा करने से हम सकरात्मक ऊर्जा से भर जाते हैं तथा अपने जीवन में अधिक से अधिक कृपाओं के पात्र बन जाते हैं। बस यूँ कहें कि कृतज्ञता यदि कोई दवा होती तो यह संसार की बेस्ट-सैलिंग दवा होती जो हर मुख्य अंग को लाभ पहुंचाती और स्वस्थ रखती।

स्वस्थ रहें, प्रसन्न रहें तथा अपने जीवन और अपनों के लिए सदैव आभारी रहें।