परिचय:

इरीटेबल बॉवेल सिंड्रोम (Irritable Bowel Syndrome-IBS) एक क्रोनिक या पुराना विकार है जो मुख्य रूप से बड़ी आँत (कोलन) को प्रभावित करता है। आईबीएस एक सामान्य पाचन तंत्र विकार है, जिसमें पेट में दर्द, ऐंठन और आँत की आदतों में परिवर्तन (दस्त एवं कब्ज) शामिल होते हैं। आईबीएस खतरनाक नहीं है, और यह आँत को स्थायी नुकसान नहीं पहुंचाता है, लेकिन यह असुविधाजनक होता है और दैनिक जीवन को प्रभावित कर सकता है। 


आईबीएस के कारण:

आईबीएस का सटीक कारण ज्ञात नहीं है। इसे कोलन (बड़ी आँत) का कार्यात्मक विकार कहा जाता है क्योंकि कोलन की जांच करने पर उसमें बीमारी का कोई संकेत नहीं मिलता है। आईबीएस में कई कारक भूमिका निभाते हैं जो इस प्रकार हैं:
• आँतों की मांसपेशियों की गतिशीलता में समस्या
• तंत्रिका तंत्र के दोष
• आँतों में सूजन
• गंभीर संक्रमण
  • आँतों के माइक्रोबायोटा (सूक्ष्मजीवों के समूह) में परिवर्तन (डिस्बायोसिस)

1. आँतों की मांसपेशियों की गतिशीलता में समस्या: आँतों की परतों में मांसपेशियां भोजन को आगे ले जाने के लिए सिकुड़ती हैं। आईबीएस में ये संकुचन या तो अधिक मजबूत होते हैं, या कमजोर होते हैं। मजबूत संकुचन से दस्त होता है और कमजोर संकुचन से कब्ज होता है और मल सूखा एवं सख्त होता है।

2. तंत्रिका तंत्र के दोष: कई अध्ययनों के अनुसार, यह पाया गया है कि पाचन तंत्र में नसें अतिसंवेदनशील हो सकती हैं जो आँत के कार्य को प्रभावित करती हैं जिससे गैस के कारण सामान्य से अधिक असुविधा पैदा होती है। कुछ मामलों में, मस्तिष्क और आँत के बीच तंत्रिका संचार में समस्याएँ आईबीएस के लक्षणों को जन्म देती हैं।

3. आँतों में सूजन: आँतों में किसी भी प्रकार की सूजन आईबीएस को जन्म दे सकती है।

4. गंभीर संक्रमण: कुछ व्यक्तियों में, आईबीएस भोजन विषाक्तता (food poisoning) या गैस्ट्रोएंटेराइटिस के बाद उत्पन्न हो सकता है। पोस्ट-इंफेक्शन आईबीएस (PI-IBS) में जीवाणु संक्रमण के बाद भी, आँत में लगातार कम-स्तर की सूजन बनी रह सकती है जिससे उसके कार्य प्रभावित होते हैं और आईबीएस के लक्षणों को बढ़ावा मिलता है।

5. आँतों के माइक्रोबायोटा (सूक्ष्मजीवों के समूह) में परिवर्तन (डिस्बायोसिस): आँत में लगभग 100,000 ट्रिलियन सूक्ष्मजीव जैसे बैक्टीरिया, कवक, वायरस, प्रोटिस्ट आदि होते हैं, जो सामान्य रूप से आँत में कुछ विशिष्ट संरचना में रहते हैं। यह संरचना हर व्यक्ति में अलग-अलग होती है। जब इन सूक्ष्मजीवों के बीच संतुलन बिगड़ जाता है तो इनकी संरचना में भी परिवर्तन होता है, जिसे डिस्बायोसिस कहते हैं और यह आईबीएस को जन्म दे सकता है।


आईबीएस के लिए उत्तेजक या जोखिम कारक:

वैसे तो आईबीएस किसी को भी प्रभावित कर सकता है, लेकिन कुछ कारक आईबीएस होने के संभावित जोखिम को बढ़ा देते हैं। आईबीएस से पीड़ित लोगों में कोलन का कार्य हमेशा असामान्य ही रहता है, किन्तु कुछ उत्तेजक कारण लक्षणों को बदतर कर देते है। आईबीएस के लक्षणों को बढ़ाने देने वाले सबसे संभावित कारक इस प्रकार हैं:

1. तनाव और चिंता: अवसाद (डिप्रेशन) या चिंता (एंग्जायटी) जैसी मनोवैज्ञानिक स्वास्थ्य समस्याएँ होना भी आईबीएस से जुड़ी हुई हैं। आईबीएस के कई मामलों में यह देखा गया है कि उच्च तनाव या चिंता के स्तर के दौरान आईबीएस के लक्षण बिगड़ जाते हैं, हालांकि तनाव इसका मूल कारण नहीं है। तनाव और चिंता तंत्रिकाओं पर प्रभाव के माध्यम से गैस्ट्रिक सिस्टम को अतिसक्रिय बनाते हैं। 

2. महिला होना: आईबीएस पुरुषों की तुलना में महिलाओं में अधिक आम है। शोधकर्ताओं ने मासिक धर्म के दौरान होने वाले हार्मोन परिवर्तनों को इस शिकायत से जोड़ा है क्योंकि पेट में दर्द, सूजन और मल त्यागने की आदतों में बदलाव जैसे लक्षण अक्सर मासिक धर्म से पहले और उसके दौरान अधिक प्रमुखता से उभरकर आते हैं।

3. आयु: इसमें कोई संदेह नहीं है कि आईबीएस किसी भी आयु वर्ग के व्यक्ति को प्रभावित कर सकता है, लेकिन यह देखा गया है कि 40-50 वर्ष से कम आयु के व्यक्तियों में इसका खतरा अधिक होता है।

4. जीवाणु संक्रमण: संक्रमण के बाद होने वाले परिवर्तन, छोटी आँत में जीवाणुओं की अधिक वृद्धि (एसआईबीओ), और आँत माइक्रोबायोटा असंतुलन (डिस्बायोसिस) जैसे कारक आईबीएस लक्षणों के विकास और बने रहने में योगदान कर सकते हैं। 

5. हार्मोनल परिवर्तन: हार्मोनल परिवर्तन आईबीएस के लक्षणों को उत्प्रेरित या खराब कर सकते हैं। हार्मोन भोजन नली से लेकर आँतों तक पूरे मार्ग की गतिशीलता को प्रभावित कर सकते हैं। हार्मोनल उतार-चढ़ाव आँत और मस्तिष्क के बीच संचार को प्रभावित कर सकते हैं, जिससे आँत के कार्य और संवेदनशीलता प्रभावित हो सकती है। साथ ही हार्मोन आँत में सूजन के स्तर को भी प्रभावित कर सकते हैं, जो आईबीएसके लक्षणों में योगदान कर सकते हैं।

6. आहार: कई लोगों को एक निश्चित तरह के खाद्य पदार्थों के सेवन से इस तरह के लक्षण दिखाई देते हैं। ये खाद्य उत्पाद आईबीएस के लक्षणों का कारण नहीं बनते, बल्कि उन्हें उत्प्रेरित करते हैं। कुछ सामान्य उदाहरण हैं दूध, अन्य डेयरी उत्पाद, गेहूं, कुछ फलियाँ, खट्टे फल आदि।

7. कुछ दवाएं: दर्द निवारक, अवसाद रोधी और एंटीबायोटिक जैसी कुछ दवाओं के नियमित उपयोग से आईबीएस का खतरा बढ़ जाता है।

8. अत्यधिक शराब का सेवन

9. आईबीएस का पारिवारिक इतिहास: आईबीएस कुछ परिवारों में चल सकता है क्योंकि कुछ जीन आईबीएस पैदा करने में भूमिका निभाते हैं।


आईबीएस के प्रकार:

दस्त के साथ आईबीएस (IBS–D): इसमें, व्यक्ति को पतले पानी जैसे मल होता है।
कब्ज के साथ आईबीएस (IBS–C): इस प्रकार में मल कठोर हो जाता है।
मल त्यागने की मिश्रित आदतों के साथ आईबीएस (IBS –M): दस्त और कब्ज बारी-बारी से होते हैं
आईबीएस अनसब-टाइप्ड (IBS–U): यह प्रकार उन व्यक्तियों को आवंटित किया जाता है जो उपरोक्त किसी भी प्रकार में फिट नहीं होते हैं।


आईबीएस के लक्षण:

आईबीएस के लक्षणों में शामिल हैं:
• पेट में दर्द या ऐंठन
• सूजन और गैस
• दस्त, कब्ज, या दोनों के बीच बारी-बारी से बदलाव
• कभी-कभी मल में म्यूकस (श्लेष्म) आना


निदान:

आईबीएस के लिए कोई प्रत्यक्ष परीक्षण नहीं होता है। इसका निदान मेडिकल हिस्ट्री और लक्षणों पर आधारित होता है। इसका निदान परोक्ष रूप से अन्य विकारों को एक-एक करके निष्कासित करके किया जाता है जिसमें मल परीक्षण, रक्त परीक्षण और कोलोनोस्कोपी जैसे परीक्षणों के माध्यम से बड़ी आँत के अन्य विकारों का पता लगाया जाता है।


उपचार:
• आहार में परिवर्तन (जैसे, उत्तेजक खाद्य पदार्थों से बचना और प्रोबायोटिक्स को शामिल करना)
• तनाव प्रबंधन तकनीकें (जैसे, थेरेपी, योग, व्यायाम, विश्राम अभ्यास)
• दवाएं (लक्षणों को प्रबंधित करने के लिए)


आईबीएस के लिए होमियोपैथिक उपचार:

आईबीएस बहुत ज़्यादा असुविधा और परेशानी का कारण बनता है। दर्दनाक सूजन, ऐंठन और कब्ज दैनिक जीवन को मुश्किल बना सकते हैं। ज़्यादा खाने या ज़्यादा पीने के बाद पेट में होने वाली अस्थायी गड़बड़ी को नज़रअंदाज़ किया जा सकता है, लेकिन मल त्यागने की आदतों में बदलाव आईबीएस का संकेत हो सकता है, जिस पर ध्यान देने की ज़रूरत है। 

होमियोपैथी ने पुराने लक्षणों को कम करने में मदद करने का एक सिद्ध ट्रैक रिकॉर्ड बनाया है। होमियोपैथिक दवाएँ आईबीएस के लक्षणों का उपचार करने में मदद करती हैं, जिससे समय के साथ उनकी गंभीरता कम हो जाती है। संदर्भ के लिए, 2005 में, ब्रिस्टल होमियोपैथिक अस्पताल में किए गए एक अध्ययन से पता चला कि क्रोनिक (पुरानी) बीमारियों वाले रोगियों में, जिनमें आईबीएस भी शामिल है, उनमें 70% से अधिक रोगियों ने उपचार के बाद सकारात्मक स्वास्थ्य परिवर्तन की सूचना दी। छह साल के अध्ययन में 6,500 से अधिक रोगियों ने भाग लिया, जिनमें गठिया, एक्जिमा, अस्थमा, माइग्रेन, इरीटेबल बॉवेल सिंड्रोम, अवसाद और पुरानी थकान जैसी समस्याओं वाले रोगी शामिल थे।

आईबीएस, गैस्ट्राइटिस और अन्य पाचन तंत्र संबंधी समस्याओं के लिए लक्षणात्मक रूप से उपयोग की जाने वाली सबसे प्रमुख होमियोपैथिक दवाओं में लाइकोपोडियम, नक्स-वोमिका, चाइना, आर्सेनिक, एलो, ब्रायोनिया, कोलोसिंथ, काली-फॉस, अर्जेन्टम-नाइट्रिकम आदि शामिल हैं। उनमें से कुछ का यहां विस्तार से वर्णन किया गया है:

1. लाइकोपोडियम-क्लैवेटम

यह दवा आईबीएस और 'फ़ूड इनटॉलेरेंस' वाले लोगों के लिए उपयुक्त है। लाइकोपोडियम के लोगों को खासकर प्याज, सीप, गोभी और कुछ फलियों से शिकायत हो सकती है। इन मामलों में लाइको अत्यधिक गैस, पेट भरा हुआ लगना और आंतरिक सूजन से निपटने के लिए एक महत्वपूर्ण दवा है। इन लोगों को थोड़ी मात्रा में भी, कुछ भी खाने के तुरंत बाद पेट भरा हुआ और फूला हुआ महसूस होता है तथा हवा निकल जाने के बाद शिकायत कुछ कम हो जाती है। 

लाइको के रोगियों को पेट के निचले हिस्से में गैस और सूजन सबसे अधिक होती है और इन लोगों की सारी समस्याएं अक्सर शाम के समय विशेष रूप से शाम 4 बजे से 8 बजे के बीच बढ़ जाती हैं। सूजन वाले पाचन तंत्र को भोजन से पर्याप्त पोषण प्राप्त करने के लिए संघर्ष करना पड़ता है, इसलिए इन लोगों का वजन भी कम हो सकता है। भूख बहुत परिवर्तनशील होती है और भोजन के कुछ ही निवाले खाने के बाद भूख या तो बहुत ज़्यादा लगने लगती है या फिर एकदम से चली जाती है। बारी-बारी से कभी दस्त और कभी कब्ज होना भी इस दवा का एक लक्षण है। लाइको लीवर और डायबिटीज़ की भी एक महत्वपूर्ण औषधि है तथा इन लोगों को मीठा खाने की भी तीव्र इच्छा रहती है।

2. नक्स-वोमिका

यह आईबीएस के लिए एक बेहतरीन दवा है। यह दवा उन लोगों के लिए उपयुक्त है जो कड़ी मेहनत करते हैं और दिन रात एक कर देते हैं। ये लोग रात को अक्सर देरी से सोते हैं और सुबह 5-6 बजे इन्हें बहुत गहरी नींद आती है जिससे जगाना मुश्किल होता है। आखिरकार, यह तनावपूर्ण जीवनशैली अपना असर दिखाती है और पाचन तंत्र को नुकसान पहुंचाती है। पेट में गंभीर ऐंठन और एसिड रिफ्लक्स होता है जो मानसिक परिश्रम और तनाव से बढ़ जाता है। चटपटा, मसालेदार, खूब तड़का लगा हुआ भोजन खाने की इनकी सदैव इच्छा रहती है। इन लोगों को चाय, कॉफी, तम्बाकू और धूम्रपान या शराब की भी लत हो सकती है। कुछ भी खाने या पीने के बाद हिचकी, डकार, पेट भरा हुआ लगना और अपच बदतर हो जाता है। ऐसे में इनका जी मिचला सकता है और उल्टी की तीव्र इच्छा हो सकती है जिसके बाद इनको राहत भी मिल जाती है। 

नक्स-वोमिका का सबसे प्रमुख लक्षण है कि इनको मल त्याग करने की बार-बार अप्रभावी इच्छा होती है। बहुत बार जाने पर भी मल की थोड़ी मात्रा ही निकलती है। इनको लगातार मल त्याग करने की इच्छा तो होती है किन्तु इसके बावजूद, असंतोष होता है जैसे कि आँत अभी भी पूरी तरह से खाली नहीं हुई है। मल त्याग के बाद पेट दर्द बहुत कम समय के लिए कम हो जाता है, और जल्दी ही यह फिर से शुरू हो जाता है, साथ ही मल त्याग करने की इच्छा भी होती है। क्रोध करने के बाद स्थिति का बिगड़ना भी नक्स वोमिका के उपयोग के लिए एक महत्वपूर्ण संकेत है। इसके साथ ही जो लोग बहुत ज़्यादा एलोपैथिक दवाएं तथा एंटीबायोटिक्स खाए होते हैं उन लोगों में यह औषधि बहुत अच्छा काम करती है। 


3. चाइना-ऑफिसिनैलिस

पेट के ऊपरी तथा निचले, हर हिस्से में अत्यधिक गैस के साथ कमज़ोरी होना इस दवा का प्रमुख लक्षण है। कुछ भी खाने के तुरंत बाद पेट गैस से बहुत ज़्यादा फूल जाता है। पेट में एसिडिटी के साथ बहुत ज़्यादा सूजन और कड़वी या खट्टी डकारें आती हैं। भूख बहुत ज़्यादा होने से लेकर खाने से पूरी तरह से दूर होने तक, सभी इस दवा के लक्षण हैं। फल और दूध से आईबीएस की स्थिति और खराब हो जाती है। इन लोगों का पाचन आम तौर पर बहुत धीमा होता है और दर्द दबाव वाला होता है।

4. आर्सेनिकम-एल्बम

पेट में ऐंठन जो ठंडक से और भी बदतर हो जाती है। यह दवा उन लोगों के लिए उपयुक्त है जिन्हें हमेशा ठंड लगती है। इन लोगों को ठंडा खाना या आइसक्रीम खाने से पेट खराब हो सकता है। यदि शराब पीने के बाद बहुत ज़्यादा दस्त हो, और आईबीएस की स्थिति और भी बदतर हो जाये तो आर्सेनिक मददगार हो सकती है। ये फ़ूड पोइज़निंग के लिए भी उत्तम औषधि है। नियमित रूप से गर्म पेय पदार्थ पीने और लेटने से आराम मिलता है।

5. कोलोसिंथिस

कोलोसिंथ आईबीएस के मामलों में भयानक पेट की ऐंठन से राहत दिलाने वाली एक शीर्ष दवा है, जिसमें रोगी को पेट के बल आगे की ओर झुकने या पेट पर दबाव डालने से आराम मिलता है। ऐसे लोगों के आईबीएस के लक्षण क्रोध या आक्रोश से बदतर होते हैं। दर्द चुभने वाला तथा कम समय के लिए होता है और खासकर फल खाने के बाद बढ़ जाता है। थोड़ी-सी मात्रा में भी कुछ भी खाने या पीने से ऐंठन होती है। कोलोसिंथ के लोगों को पेट पर दबाव डालने तथा गर्म सिकाई करने से कुछ हद तक दर्द में आराम मिलता है। मल ढीला, पानीदार, पीला और झागदार होता है जो गैस के साथ निकलता है।

6. अर्जेंटम-नाइट्रिकम

अर्जेंटम-नाइट्रिकम आईबीएस में दस्त और चिंता के लिए एक शीर्ष दवा है। यह दवा उन लोगों के लिए बेहतरीन है जो लोग भविष्य को लेकर अत्यधिक परेशान रहते हैं और किसी कार्यक्रम, सार्वजनिक बैठक, परीक्षा अथवा इंटरव्यू जैसी तनावपूर्ण घटना के पहले इन लोगों को भय और घबराहट के कारण दस्त होने लगते हैं। भविष्य में होने वाली घटनाओं के बारे में बहुत अधिक सोचने से इनका अक्सर पेट ख़राब हो जाता है। ऐसे व्यक्ति स्वभाव से अधीर होते हैं और हर काम जल्दबाज़ी और हड़बड़ाहट में करते हैं। ये लोग मीठा खाने के शौक़ीन होते हैं तथा इसके अलावा इस दवा की विशेषता है कि इन लोगों में बहुत अधिक गैस होती है जो डकार, या जोरदार आवाज़ के साथ निकलती है। घबराहट या चिंता से जुड़ी मितली और अपच भी इस औषधि से ठीक होती है।

7. सल्फर

सल्फर डॉ. हैनिमन की सर्वश्रेठ एंटी-सोरिक औषधि है जिसका शरीर के हर अंग पर बहुत व्यापक प्रभाव होता है। इन लोगों को सुबह और रात में जलन के साथ दर्द तथा पेट में ऐंठन होती है जो छूने से बढ़ जाती है। खासकर सुबह 11 बजे के आसपास भूख आमतौर पर बढ़ जाती है, और इन्हें पेट में खालीपन का अहसास होता है। थोड़ा-सा खाने के तुरंत बाद ही पेट बहुत भारी लगता है। ये लोग मीठा खाने के शौक़ीन होते हैं तथा थोड़े आलसी प्रवृति के होते हैं। अक्सर इन लोगों को नहाने का मन भी नहीं करता है। 


8. एलो-सोकोट्रिना

यह एक तात्कालिक औषधि है और इसका उपयोग दस्त को नियंत्रित करने के लिए किया जा सकता है, जहां मल के साथ बड़ी मात्रा में गैस भी निकलती है। इसका उपयोग करने का मुख्य संकेत है कि कुछ भी खाने/पीने के तुरंत बाद मल त्यागने की तीव्र इच्छा होती है, और व्यक्ति को शौचालय की ओर भागना पड़ता है। उसे ऐसा महसूस होता है कि अगर वह शौचालय में जल्दी नहीं गया तो गैस के साथ मल भी निकल जाएगा। कभी-कभी मल के साथ बलगम भी निकल सकता है। मल त्याग से पहले और उसके दौरान पेट में दर्द होता है। मल त्याग के बाद पेट दर्द गायब हो जाता है। एलो आंतों की गतिविधियों को नियमित करने में मदद करती है क्योंकि आईबीएस के रोगियों में उनकी गति बढ़ जाती है।

9. ब्रायोनिया-एल्बा

आईबीएस के रोगियों में पेट फूलने के साथ कब्ज हो तो ब्रायोनिया एक उत्तम औषदि है। उनका मल अत्यधिक सूखा, कठोर, और अधिक मात्रा में  होता है जो देखने पर इतना सूखा दिखता है कि ऐसा लगता है मानो जैसे जल गया हो। मल बहुत कठिनाई से निकलता है। मल त्यागते समय गुदा में जलन हो सकती है। ब्रायोनिया एल्बा कब्ज से होने वाले सिरदर्द के लिए भी उपयोगी है। खाना खाने के बाद स्थिति और खराब हो जाती है और आम तौर पर प्यास बढ़ जाती है। पेट इतना भारी लगता है कि ऐसा लगता है जैसे उसमें कोई पत्थर रखा हो। डकार लेने से दर्द से राहत मिलती है और बिना पचे भोजन का स्वाद आता है। तंग कपड़े पहनने और इधर-उधर घूमने से भी आईबीएस की स्थिति और खराब हो जाती है।

10. कार्बो-वेज

यह औषधि वृद्ध लोगों या थकान से पीड़ित लोगों के लिए उपयुक्त है, जिन्हें पेट में जलन, दर्द या पेट के ऊपरी हिस्से में अत्यधिक गैस अथवा दबाव महसूस होता है। खाने के बाद ऐंठन के साथ ऊपर को पेट फूलता है, जिससे इन्हें सांस लेने में दिक्कत या बेचैनी भी हो सकती है। इस स्थिति के लिए यह एक प्रभावी तात्कालिक औषधि है। इन लोगों को ऐसा भी महसूस होता है कि जैसे इनका आमाशय सिकुड़ रहा है। मक्खन, वसा और गरिष्ठ भोजन खाने से डकार, सीने में जलन और अपच के साथ कमजोरी या बेहोशी हो सकती है।

11. नैट्रम-म्यूरिएटिकम

आईबीएस के रोगियों में बहुत ज़्यादा स्टार्चयुक्त भोजन के बाद अपच, खट्टी डकारें और भयंकर हिचकी आती है। पेट में दर्दनाक ऐंठन होती है, जो छूने से बढ़ जाती है। नैट्रम-म्यूर के लोगों को दुख या अतीत के अप्रिय मुद्दों पर चिंतन करने की आदत होती है जिसके कारण से आईबीएस के लक्षण और ज़्यादा बढ़ जाते हैं।

12. काली-फॉस्फोरिकम
यह तनाव से संबंधित आईबीएस तथा अन्य पाचन सम्बन्धी समस्याओं के लिए सबसे व्यापक रूप से उपयोग की जाने वाली औषधि है। यह उन रोगियों के लिए एक महत्वपूर्ण औषधि है जिनमें लगातार चिंता एवं तनाव आँत के स्वास्थ्य को प्रभावित करता है और यह लोग हमेशा पेट की समस्याओं से जूझते रहते हैं। अब यह तथ्य बहुत स्पष्ट है कि तनाव आईबीएस के लक्षणों को बदतर बनाने में एक प्रमुख भूमिका निभाता है। अतः तनाव को नियंत्रित करके पाचन सम्बन्धी लक्षणों की तीव्रता अपने आप कम की जा सकती है। जो लोग लगातार उदास, चिंतित, बेचैन या तनावपूर्ण स्थिति में रहते हैं, वे इस दवा का उपयोग करने के लिए आदर्श हैं। इन लोगों को अक्सर दस्त की समस्या होती है या फिर मल ढीला होता है तथा पेट में बहुत गैस होती है। मल में दुर्गंध भी आ सकती है। इन लोगों को बहुत जल्दी थकावट भी महसूस होती है। काली-फॉस् को बायोकेमिक रूप में भी लिया जा सकता है।


आईबीएस को नियंत्रित करने के स्वस्थ तरीके:

होमियोपैथी के अलावा, जीवनशैली में कुछ बदलाव आपको तेज़ी से स्वस्थ होने में मदद कर सकते हैं। इनमें से कुछ हैं:

1. अपनी भूख से कम भोजन करें तथा एक बार में थोड़ा-थोड़ा खाना लें और पानी का सेवन बढ़ाएँ।
2. आहार में बदलाव: कुछ खाद्य पदार्थों को खाने से बचें, इससे आईबीएस को नियंत्रित करने में मदद मिल सकती है। अगर कब्ज़ है, तो ज़्यादा फाइबर वाला आहार लें जैसे कि फल, सब्ज़ियाँ, मेवे। प्रोबायोटिक भोजन (प्रोबायोटिक भोजन से तात्पर्य ऐसे भोजन से है जिसमें अच्छे अनुकूल बैक्टीरिया होते हैं, जैसे कि दही, कुछ अचार, आदि) का उपयोग करने से लक्षणों में सुधार हो सकता है।
3. धूम्रपान और शराब से बचें
5. उचित नींद लें, तनाव को नियंत्रित करें और नियमित रूप से व्यायाम करें।



इरिटेबल बॉवेल सिंड्रोम एक दीर्घकालिक स्थिति है, लेकिन सही उपचार और जीवनशैली में सुधार के साथ इसके लक्षणों को नियंत्रित किया जा सकता है। इससे जीवन की गुणवत्ता में सुधार संभव है। सही समय पर उचित दवाइयों का उपयोग करने से आप अनावश्यक अस्पताल के चक्कर, अव्यवस्था और दीर्घकालिक बीमारी से बच सकते हैं। समय पर हस्तक्षेप करने से आप अपना समय, ऊर्जा और पैसा बचा सकते हैं। स्वयं अपना निदान और दवा का चयन एवं सेवन करने से बचें क्योंकि यह हानिकारक हो सकता है। कोई भी दवा लेने से पहले हमेशा एक योग्य होमियोपैथिक चिकित्सक से परामर्श लें। होमियोपैथिक डॉक्टर प्रभावी उपचार के लिए अपने सभी रोगियों को आहार और जीवनशैली में कुछ बदलाव करने का सुझाव देते हैं। खास बात यह है कि होमियोपैथिक दवाओं को इत्र, कपूर, या अन्य वाष्पशील उत्पादों के पास नहीं रखना चाहिए, क्योंकि यह दवाओं के प्रभाव को बेअसर करती हैं। ऑनलाइन परामर्श या किसी भी संबंधित प्रश्न के लिए हमारे विशेषज्ञ होमियोपैथिक डॉक्टरों से परामर्श लें और हमारे साथ अपॉइंटमेंट बुक करें।





नोट:  इस लेख में दी गयी जानकारी के परिणामस्वरूप हुए किसी भी नुकसान या जोखिम, के लिए लेखक जिम्मेदार नहीं है। यह जानकारी किसी पेशेवर चिकित्सिए परामर्श, निदान अथवा उपचार का विकल्प नहीं है।