कोरोना की दूसरी लहर इतनी ज़्यादा संक्रामक थी कि बड़े शहरों में शायद ही इसने किसी को छोड़ा हो। ये मान के चलिए कि कोरोना की इस दूसरी लहर में अगर किसी को छींक भी आई है तो वो कोविड था। हममें से ज्यादातर लोग इससे आसानी से इसीलिए बच निकले क्योंकि हमारे शरीर में पहले से कोई बीमारी नहीं थी। हमारे वाईटल अंग स्वस्थ थे। हममें से कईयों में मामूली लक्षण जैसे सर्दी, खाँसी, या हल्का बुखार, दस्त आदि देखे गए। इन मामूली लक्षणों से घर पर ही निपटा गया। साथ ही लगातार हल्का बुखार बने रहने पर लोगों ने अपना टाइफाइड टेस्ट कराया जो कि इस दौरान फौल्स पॉजिटिव निकला। इस तरह एक बड़ी आबादी जो कोरोना संक्रमित थी वह सरकारी आंकड़ों में आने से अछूती ही रही क्योंकि लोगों ने इन लक्षणों के लिए कोरोना की जाँच कराना ज़रूरी नहीं समझा।
इस तरह ऐसे बहुत से लोगों को यह पता ही नहीं चला कि वे कब इससे संक्रमित हुए और कब ठीक हो गए। इनमें कुछ लोग ऐसे भी थे जो ये मानना ही नहीं चाहते थे कि उन्हें भी कोविड हो सकता है। वजह जो भी हो किंतु यह सत्य है कि यह पिछले साल के मुकाबले कहीं ज़्यादा घातक और संक्रामक है। इसमें पूरे के पूरे परिवार संक्रमित हुए हैं। ऐसे में परिवार के वे सदस्य जो स्वस्थ थे वे इससे आसानी से बच निकले किंतु परिवार के वे सदस्य जिनको कोई को-मौरबिडिटी थी, निश्चित रूप से कोरोना उनके लिए घातक सिद्ध हुआ है।
क्या होती है को-मौरबिडिटी:
को-मौरबिडिटी यानी ब्लड-प्रेशर, शुगर, हृदय रोग, किडनी रोग, लीवर रोग, रक्त संबंधी व्याधियां, कैंसर, एडस, आर्थराइटिस आदि या ऐसी कोई भी बीमारी जिसमें स्टेरॉयडस चल रहे हों या इम्मयून सिस्टम बहुत कमज़ोर हो। निश्चित रूप से ऐसे लोगों की ज़िंदगी पर ज़्यादा खतरा रहता है। साथ ही कई रोग ऐसे भी होते हैं जो धीरे-धीरे आपके अंदर पनप रहे होते हैं और आपको पता भी नहीं होता। इनमें लीवर रोग सबसे ज्यादा प्रमुख होते हैं।
यदि आपके घर में भी ऐसे सदस्य हों जो उपरोक्त किसी भी को-मौरबिडिटी से पीड़ित हों तो सचेत हो जाएं। ऐसे सदस्यों का विशेष ध्यान रखें और निरंतर अपने चिकित्सक के संपर्क में रहें।
कोरोना की तीसरी लहर आने की संभावना अगले 3 से 4 महीने में बताई जा रही है। लगभग तीन से चार महीने बाद हमारी नैचुरल एंटीबॉडीज ख़तम होने पर ये एक बार फिर हम सबको अपनी चपेट में लेगा। ऐसे में क्या करें कि आपको घर बैठे ही बीमारी की शुरुआत में ही उसका पता चल जाए। विशेषज्ञ बताते हैं एक "6-मिनट वॉक टेस्ट"।
क्या है ये "6-मिनट वॉक टेस्ट":
सबसे पहले आप औक्सीमीटर से अपना औक्सीजन सैच्युरेशन चैक करें। उसके बाद 6 मिनट तक लगातार चलें। चलें ऐसे कि 1 मिनट में कम से कम सौ कदम हों। 6 मिनट तक ऐसे लगातार चलने के बाद फिर से अपना औक्सीजन सैच्युरेशन चैक करें। अगर आपकी दोनों रीडिंग में 3% से ज़्यादा का अंतर आए तो सचेत हो जाएं और तुरंत अपना RTPCR टेस्ट कराएं। यदि टेस्ट पॉजिटिव आए तो बाकि घरवालों का भी टेस्ट कराएं। हो सकता है कि आप सभी पॉजिटिव हों और लक्षणविहीन हों।
समय रहते अगर बीमारी का पता चल जाए तो हो सकता है कि हम अपने प्रियजनों को बचा सकें। कोरोना के प्रति जागरूकता और बचाव ही हमारे सबसे बड़े हथियार हैं। याद रखिये कि इस बार ये हमारे परिवार के बच्चों को भी टटोल कर गया है। तीन से चार महीने के बाद ये हमारे घरों में फिर दस्तक दे सकता है इसीलिए तीसरी लहर में बच्चों की सेहत पर भी विशेष ध्यान दें।
सावधान रहें, स्वस्थ रहें, सुरक्षित रहें।
Good information.
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