आख़िर क्यों करते हैं लोग आत्महत्या?

किसी व्यक्ति के साथ कोई अप्रिय घटना होती है तो उस व्यक्ति की मानसिक दशा में बहुत परिवर्तन होता है एवं वह व्यक्ति धीरे धीरे अवसाद (Depression) की स्थिति में चला जाता है और इसी अवसाद के कारण  कुछ लोग आत्महत्या जैसा कदम तक उठा लेते हैं इससे उनके परिवार को बहुत दुःख का सामना करना पड़ता है एवं परिवार तथा आसपास के समाज पर भी इसका नकारात्मक प्रभाव पड़ता है



विश्व आत्महत्या रोकथाम दिवस

हर साल 10 सितंबर का दिन विश्व आत्महत्या रोकथाम दिवस  (World Suicide Prevention Day) मनाया जाता है। इसका उद्देश्य लोगों को मानसिक स्वास्थ्य के प्रति जागरूक करना एवं आत्महत्या के बढ़ते हुए मामलों को रोकने के लिए मनाया जाता है। इसको सर्वप्रथम 2003 में शुरू किया गया था। इस दिवस को इंटरनेशनल असोसिएशन ऑफ सुसाइड प्रिवेंशन द्वारा मनाया जाता है


आत्महत्या से जुड़े कुछ आँकड़े

विश्व स्वास्थ्य संगठन के आंकड़ों के अनुसार हर साल लगभग 7 लाख से भी ज्यादा लोग आत्महत्या करते हैं और हर 40 सेकेंड में एक व्यक्ति आत्महत्या करता है। लगभग 77% आत्महत्या की घटनाएं कम औऱ मध्यम आर्थिक स्थिति वाले देशों में होती हैं।  

अगर भारत देश की बात करें तो मारे देश में हर वर्ष आत्महत्या के मामले बढ़ते जा रहे हैं। 2019 में आत्महत्या के लगभग 1लाख 40 हजार मामले सामने आए थे। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार भारत में आत्महत्या एक गम्भीर स्वास्थ्य समस्या है। 2019 के आंकड़ों की बात करें तो महाराष्ट्र में आत्महत्या के मामले सबसे ज्यादा देखने को मिले।भारत में बड़े शहरों में आत्महत्या के मामले ज्यादा देखने को मिलते हैं। ये आंकड़े वाकई में चिंतित करने वाले हैं। इस स्थिति को देखते हुए सरकार, समाज एवं व्यक्ति को इस दिशा में कुछ सार्थक प्रयास करने चाहिए जिससे आत्महत्या के मामलों में कमी लाई जा सके।


आत्महत्या के कारण

कोई भी व्यक्ति अचानक से आत्महत्या जैसा कदम नहीं उठाता है आम तौर पर वह लंबे समय से अवसाद में चल रहा होता है भारत देश में व्यक्ति का सामाजिक मान-सम्मान अचानक खत्म होने के कारण व्यक्ति आत्महत्या जैसा कदम उठा सकता है। अधिकांश मामलों में आत्महत्या अचानक होने वाली घटना नहीं है इससे पहले रोगी कई बार अपने लोगों को संकेत देता है। इस प्रकार के रोगी अवसाद ग्रस्त होते हैं मनोविश्लेषकों के अनुसार अवसाद के कई कारण हो सकते हैं और जो अवसाद के कारण होते हैं, अधिकतर वो ही आगे जाकर आत्महत्या के कारण बनते हैं जैसे कि- 

  • किसी भी व्यक्ति के जीवन में किसी के प्रति बहुत अधिक लगाव होना (प्रिय व्यक्ति की मृत्यु के कारण अकेलापन), 
  • आशा अनुरूप परीक्षा परिणाम प्राप्त न होना,
  • अप्रिय स्थिति (जो मन के अनुकूल न हो) में लंबे समय तक रहना,
  • डर के कारण, 
  • आनुवांशिकता, 
  • हार्मोनल डिसबैलेंस, (शरीर के neurochemical factors (norepinephrine व Serotonin) में परिवर्तन होना)
  • मौसम, 
  • लगातार तनाव एवं चिंता, 
  • लंबे समय तक किसी बीमारी से ग्रस्त रहना,
  • किसी भी नशे की आदत होना, आदि प्रमुख हैं। 


अवसाद के लक्षष 

आत्महत्या के बढ़ते मामलों को रोकने के लिए प्रारंभ के लक्षणों का पता होना जरूरी है। जो व्यक्ति हमेशा दुखी रहता है उसमें आत्महत्या करने की संभावनाएं अधिक रहती हैं। ऐसे लोगो में अवसाद एवं दुख के लक्षण आसानी से पहचाने जा सकते हैं। आत्महत्या करने वाला व्यक्ति मानसिक रूप से व्यथित रहने लगता है, व्यक्ति के जीवन मे जो दुखद घटनाएं हुई हैं उन्हें याद करते रहना। 

  • हमेशा उदास रहना, 
  • समाज से दूर रहना / एकांत में रहना,
  • अकेलापन अच्छा लगना,
  • खालीपन महसूस करना,
  • घोर निराशावादी हो जाने के कारण उसे किसी भी कार्य मे उत्साह नहीं रहता,
  • किसी काम में मन न लगना,
  • एकाग्रता में कठिनाई, 
  • जो घटना उसके बस में नहीं उनके लिये खुद को जिम्मेदार मानना। 
  • हमेशा थकान, कमजोरी या अन्य कोई शारीरिक समस्या का बना रहना।
  • मृत्यु या आत्महत्या का बार-बार मन में विचार आना । 

ये कुछ प्रमुख लक्षण हैं जो अवसाद ग्रस्त रोगी में मिलते हैं और जब यह स्थिति बहुत समय तक रहती है तो व्यक्ति आत्महत्या जैसा घातक कदम उठाता है।


रोकथाम

अपने मानसिक स्वास्थ्य का विशेष ध्यान रखें अपने दोस्तों का, परिवार वालों का साथ दें, और साथ लें। खुश रहें, संतुष्ट रहें और ईश्वर में आस्था बनाएं रखें। अगर आसपास कोई व्यक्ति ऐसा मिलता है जो मानसिक रूप से परेशान दिखे तो उसका विशेष ख्याल रखें एवं मदद का प्रयास करें।

कुछ सामान्य दिनचर्या है उसे जरूर अपनाएं रखें जैसे कि-  

  • सुबह टहलना, 
  • योगासन करना,  
  • अच्छा आहार ग्रहण करना,
  • पर्याप्त निद्रा लेना,
  • नियमित दिनचर्या रखना, 
  • दोस्तों के साथ बात करना,
  • परिवार को समय देना,
  • मनपसंद संगीत सुनना,  
  • अपने आप को व्यस्त रखना,
  • आसपस के वातवारण को सुखद रखना,
  • तथा होमियोपैथी की औषधियों का प्रयोग करना।  

अपनी मानसिक स्थिति को लेकर लापरवाही न करें अपने चिकित्सक से सम्पर्क करें। समय पर अपने निकटतम होमियोपैथ के पास जाने से आप अनावश्यक परेशानियों से बच सकते हैं। होमियोपैथी में दुष्प्रभाव रहित समाधान है किन्तु स्वयं अपना निदान और दवा का चयन एवं सेवन करने से बचें क्योंकि यह हानिकारक हो सकता है। कोई भी दवा लेने से पहले हमेशा एक योग्य होमियोपैथिक चिकित्सक से परामर्श लें। होमियोपैथिक डॉक्टर प्रभावी उपचार के लिए अपने सभी रोगियों को आहार और जीवनशैली में कुछ बदलाव करने का सुझाव देते हैं। ऑनलाइन परामर्श या किसी भी संबंधित प्रश्न के लिए हमारे विशेषज्ञ होमियोपैथिक डॉक्टरों से परामर्श लें और हमारे साथ अपॉइंटमेंट बुक करें।


नोट:  इस लेख में दी गयी जानकारी के परिणामस्वरूप हुए किसी भी नुकसान या जोखिम, के लिए लेखक जिम्मेदार नहीं है। यह जानकारी किसी पेशेवर चिकित्सिए परामर्श, निदान अथवा उपचार का विकल्प नहीं है।