समुद्री औषधियाँ (Marine drugs) विभिन्न समुद्री वनस्पतियों, समुद्री खनिजों, समुद्रीजीवों और समुद्री सूक्ष्मजीवों (Micro-organisms) से प्राप्त की जाने वाली औषधियों को कहते हैं। ये औषधियाँ समुद्री वातावरण में पाई जाती हैं और विभिन्न बायोकेमिकल और बायोलॉजिकल प्रक्रियाओं से प्राप्त की जाती हैं।
समुद्र जीवन की गतिशीलता का प्रतीक है। समुद्र को समस्त जीवन का स्रोत माना जाता है। सब कुछ समुद्र से आता है और सब कुछ उसी में लौट जाता है। यह पृथ्वी की सतह का लगभग 70% भाग है, और इसमें लगभग सभी ज्ञात तत्व शामिल हैं। समुद्र 2,30,000 ज्ञात प्रजातियों का निवास स्थान है। अनुमान है कि महासागर का केवल 5% ही खोजा गया है, और जीवविज्ञानियों का मानना है कि 20 लाख से अधिक समुद्री प्रजातियाँ मौजूद हो सकती हैं! अपने ज्वार-भाटे के साथ, समुद्र आकारहीन क्षमता और औपचारिक वास्तविकता, अनिश्चितता, संदेह और अनिर्णय की एक दुविधापूर्ण स्थिति के बीच एक क्षणभंगुर स्थिति का प्रतीक है। प्रकृति के किसी भी अन्य क्षेत्र की तुलना में, यह उपचार क्षमता का एक विशालतम किन्तु रहस्मयी और सबसे कम खोजा गया स्रोत है।
समुद्र से प्राप्त होमियोपैथिक औषधियाँ
समुद्र से प्राप्त होमियोपैथिक औषधियों की केवल एक छोटी संख्या ही व्यापक रूप से उपयोग की जाती है, हालांकि वर्तमान में होमियोपैथिक औषधियों के लगभग 100 समुद्री-स्रोत उपचार के लिए उपयोग में लाए जाते हैं।
समुद्री स्रोतों से बनाई गई कुछ औषधियाँ जो होमियोपैथिक चिकित्सा में उपयोग की जाती हैं वे इस प्रकार सूचीबद्ध हैं:
एम्ब्रा ग्रिसिया (Ambra Grisea): एम्ब्रा ग्रिसिया या व्हले वोमिट (whale vomit) स्पर्म व्हेल की आंत से निकलने वाला एक भूरा, मोम जैसा अघुलनशील स्राव है जो समुद्रों में तैरता हुआ पाया जाता है। यह तट पर आने से पहले वर्षों तक समुद्र में तैर सकता है। वर्षों तक सूर्य और खारे पानी के संपर्क में रहने के बाद, यह एक चिकनी, भूरी, ठोस चट्टान में बदल जाता है जिसमें मोम जैसा एहसास होता है। यह इतना मूल्यवान होता है कि वैज्ञानिक इसे तैरता सोना कहते हैं। इसमें कोलेस्ट्रॉल और बेंजोइक एसिड होता है। होमियोपैथी में इसी पदार्थ को ट्राईचुरेशन के माध्यम से एक उपयोगी औषधि के रूप में परिवर्तित किया जाता है। इसे किसी और के द्वारा नहीं बल्कि सर्वप्रथम स्वयं डॉ. सैमुअल हैनिमन के द्वारा एक मूल्यवान औषधि के रूप में मानवता को समर्पित किया गया था। होमियोपैथी के अलावा इसका उपयोग इत्र के लिए भी किया जाता है।
एस्टेरियस रूबेंस (Asterias Rubens or Red Starfish): लाल तारामछली (स्टारफिश) से निर्मित, एस्टेरियस रूबेंस तंत्रिका तंत्र, त्वचा, छाती और महिला प्रजनन प्रणाली से संबंधित विभिन्न विकारों के उपचार में उपयोगी होमियोपैथिक दवा है। साथ ही यह त्वचा की बीमारियों जैसे अल्सर, मुंहासे और त्वचा पर दाने को ठीक करने में उपयोगी है। यह स्तन कैंसर और रजोनिवृत्ति तथा उस दौरान से जुड़े सिरदर्द के लिए एक प्रभावी औषधि है। साथ ही यह छाती की मांसपेशियों के दर्द तथा शरीर में मांसपेशियों की ऐंठन से प्रभावी राहत प्रदान करती है।
एक्वा मराइना (Aqua Marina or Sea water): एक्वा मराइना समुद्री जल से बनी एक होमियोपैथिक दवा है। यह नैट्रम म्यूर के समान ही एक शक्तिशाली होमियोपैथिक औषधि है जिसमें सभी ज्ञात इनॉर्गेनिक पदार्थ तथा सभी सूक्ष्म खनिज मौजूद होते हैं, जो इसकी संरचना को रक्त के समान बनाते हैं। यह पुरुषों और महिलाओं दोनों की यौन कमजोरी के लिए कारगर है। साथ ही जब एड्रीनल ग्लैंडस पर्याप्त हार्मोन्स का उत्पादन नहीं करते हैं तब यह उनके उपचार में मदद करता है। यह औषधि तीसरे इंटरकोस्टल स्पेस के दर्द को कम करती है तथा चेहरे, गालों, ठोड़ी और हथेलियों पर खुजली, दाने के उपचार में मददगार है।
कलकेरिया कार्ब (Calcarea Carbonica): यह सीप के खोल (oyster shell) की बीच की परत (कैल्शियम कार्बोनेट) से बनी औषधि है। इसका उपयोग उन व्यक्तियों के लिए किया जाता है जो आलसी प्रवृत्ति के होते हैं और जो शारीरिक और भावनात्मक रूप से जल्दी थक जाते हैं और उनके अंग ठंडे होते हैं।
कोरैलियम रूब्रम (Corallium Rubrum or Red Corals): यह लाल कोरल्स से तैयार की जाती है। यह जलन, सूजन, अल्सर, सिरदर्द, साइनस, सूखा जुकाम और नाक से खून बहने को कम करने में सहायक है। यह काली खांसी तथा निरंतर चलने वाली खांसी के खिलाफ बहुत प्रभावी है जो हर रोज़ दिन के लगभग एक ही समय में उठती है। यह थकावट, दम घुटने और अचानक आने वाले दौरे में जिससे बलगम में खून आता है, पर्याप्त आराम दिलाती है।
मैडुसा (Medusa or Jellyfish): मैडुसा जैलिफ़िश से बनी एक होमियोपैथिक दवा है। इसका उपयोग मुंह, कान, नाक, होठों, चेहरे, बाहों और कंधों की सूजन, तथा त्वचा के छाले और पेम्फिगस को ठीक करने के लिए किया जाता है। यह शरीर के कई हिस्सों में सुन्नपन और जलन को ठीक करने के लिए एक बेहतरीन उपाय है। जब स्तनपान कराने वाली माताओं में दूध की कमी होती है, तो मैडुसा मददगार साबित होती है।
ऑलीयम जेकोरिस (Oleum Jecoris Aselli): यह औषधि कॉड-लिवर तेल (जो मछली की विभिन्न प्रजातियों से प्राप्त होता है) से तैयार की जाती है और इसका उपयोग त्वचा संबंधी समस्याओं, जैसे खुजली, दाद, और रूसी के लिए किया जाता है।
यह होमियोपैथिक औषधियाँ कुछ सामान्य उदाहरण मात्र हैं। समुद्र की दुनिया स्वयं जितनी विशाल और रहस्यमय है उतनी ही वह औषधियों की खान भी है। समुद्री औषधियों का विस्तृत अध्ययन और उनके चिकित्सीए उपयोग के लिए अभी बहुत अनुसंधान की आवश्यकता है।
नोट: इस लेख में दी गयी जानकारी के परिणामस्वरूप हुए किसी भी नुकसान या जोखिम, के लिए लेखक जिम्मेदार नहीं है। यह जानकारी किसी पेशेवर चिकित्सिए परामर्श, निदान अथवा उपचार का विकल्प नहीं है।
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