जी हाँ, आमतौर पर कोरोना वायरस का संक्रमण सांस लेने से यानी नाक और मुंह के जरिए फैलने वाला माना जाता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि आपकी आंखों के रास्ते भी यह वायरस आपके शरीर तक पहुंच सकता है?

कम ही लोगों को इस बारे में जानकारी है कि कोरोना वायरस का संक्रमण सिर्फ नाक और मुंह नहीं बल्कि आंखों के द्वारा भी स्वस्थ लोगों के शरीर में फैलकर उन्हें बीमार बना सकता है। दुनियाभर में हुए शोध से यह साबित हुआ है कि इंसानों में कोरोना वायरस के संक्रमण का एक बड़ा स्रोत आंखें हैं जहाँ से ये बहुत तेजी से शरीर में प्रवेश कर रहा है। इस वायरस की तरह ही, ये जानकारी भी पिछले वर्ष सबसे पहले चीन से ही आई थी और भारत के विशेषज्ञों ने भी पिछले वर्ष यानी 2020 में ही इस बात की पुष्टि भी कर दी थी।

विश्वव्यापी महामारी कोविड-19 के कहर से दुनिया बेहाल है और इस समय हमारा देश इसकी दूसरी लहर से जूझ रहा है। कोविड-19 के कहर को कम करने के लिए और इससे जुड़े खतरों से निपटने के लिए आए दिन जरूरी एडवायजरी जारी की जाती है। इसके लिए जरूरी प्रोटोकॉल में फेस मास्क और हैंड सैनिटाइजर के इस्तेमाल पर मुख्य तौर पर ही ज़ोर दिया गया है। ज्यादातर लोग सरकार और हेल्थ ऑफिशियल्स द्वारा साझा किए गए निर्देशों का पालन भी कर रहे हैं लेकिन आँखों का क्या? देखा गया है कि अक्सर लोगों की आंखें खुली रहती हैं, यानि उन पर कोई प्रोटेक्शन नहीं रहता। बड़ी हैरानी की बात है कि सिर्फ नाक और मुंह को ही मास्क के माध्यम से बचाने पर ज़ोर दिया गया और आँखों के रास्ते इस जानलेवा वायरस के फ़ैलने की गंभीरता को नज़रअंदाज़ कर दिया गया। इस तरह तो फिर कोरोना वायरस के संक्रमण में सिर्फ़ मास्क लगाना निर्थक ही साबित होगा।

कैसे होता है कोरोना का आँखों द्वारा संक्रमण:

आँखों के रास्ते कोरोना वायरस दो तरह से एक स्वस्थ व्यक्ति के शरीर में प्रवेश कर सकता है। संक्रमण का पहला तरीका तो यह है कि कोरोना वायरस संक्रमित कोई व्यक्ति अगर किसी स्वस्थ्य व्यक्ति के संपर्क में आकर खांसता या छींकता है तो इससे निकलने वाली बूंदें यानि ड्रॉपलेट्स स्वस्थ इंसान की आंखों की सतह पर पहुंचते हैं। आंखों की कोशिकाओं की सतह पर ACE-2 नाम के रिसेप्टर पाए जाते हैं, जो किसी कोशिका में संक्रमण का 'गेटवे' यानी दरवाज़े समझे जाते हैं। कोरोना का वायरस इन्हीं के जरिए शरीर के अंदर आता है। इसके अतिरिक्त किसी संक्रमित व्यक्ति के आंसुओं के जरिए भी कोरोना वायरस एक स्वस्थ व्यक्ति के शरीर में प्रवेश कर सकता है।

संक्रमण का दूसरा तरीका यह है कि यदि किसी व्यक्ति का हाथ जानलेवा वायरस के संपर्क में आता है यानि आप कोई संक्रमित चीज छूते हैं और फिर इन्हीं दूषित हाथों से अपनी आंखों को मलते हैं तो उसमें भी संक्रमण के फैलने की आशंका होती है। संक्रमण का यह रास्ता बच्चों में अधिक हो सकता है क्योंकि बच्चे अक्सर अपने हाथों से आँखों को मल लेते हैं या चेहरे पर हाथ लगाने के आदि होते हैं।

लक्षण:

यह देखने में आ रहा है कि कोविड-19 शरीर के दूसरे अंगों के साथ-साथ हमारी आंखों को भी प्रभावित कर रहा है और अमरीका में कोविड-19 के 30 फीसदी मरीजों में कंजेक्टिवाइटिस के लक्षण भी पाए गए हैं। विशेषज्ञों के अनुसार कोविड-19 का एक दुर्लभ लक्षण कंजंक्टिवाइटिस या पिंक आई भी हो सकता है। किसी-किसी रोगी को सर्दी, खाँसी, ज़ुखाम या बुखार, जैसे लक्षणों के बजाय आँखों की लालामी या सूजन (माइल्ड कंजंक्टिवाइटिस, ब्लेफिराइटिस, आदि) भी हो सकती है। 

यह लक्षण बच्चों में भी देखने को मिल सकते हैं। कोरोना की इस दूसरी लहर में वैसे तो 10 वर्ष से कम उम्र के ज्यादातर बच्चे कोविड से संक्रमित होने पर लक्षणविहीन ही रहे हैं किंतु कुछ मामलों में जब संक्रमण उनकी आँखों के द्वारा हुआ हो तो उनकी आँखों में लालामी या सूजन पायी जा सकती है।

ऐसे में अगर यह आंखों की बाहरी सतह तक ही सीमित है तो यह स्वतः ही ठीक हो जाएगा अथवा आमतौर पर मामूली दवाइयों के जरिये इसे ठीक किया जा सकता है, किंतु अगर यह अंदर तक प्रवेश कर जाए तो रेटिना को भी प्रभावित कर सकता है, जिससे कुछ एक मरीज की दृष्टि भी प्रभावित हुई है। हालांकि अभी ऐसे मामले बहुत कम देखने में आए हैं।

होमियोपैथिक उपचार:

कोरोना के अन्य लक्षणों की तरह ही पिंक आई या कंजेक्टिवाइटिस अथवा ब्लेफिराइटिस यानि आँखों की पलक का इंफेक्शन आदि का उपचार भी होमियोपैथिक औषधियों के माध्यम से किया जा सकता है। बेलाडोना, यूफरेशिया, पल्सेटिला, अर्जेंटम नाइटरिकम, एपिस, हीपर सल्फ, सल्फर, आदि अनेक औषधीयां हैं जो प्रमुख लक्षणों के आधार पर इन दोनों स्थितियों में उपयोग की जा सकती हैं किंतु किसी भी दवा का सेवन स्वयं न करें। किसी भी परिस्थिति में अपने चिकित्सक से परामर्श ज़रूर करें।

रोकथाम:

बाहर निकलने पर आंखों के जरिए होने वाले कोरोना संक्रमण को गॉगल या ग्लास पहनकर, रोका जा सकता है। लोगों को सलाह है कि वे अपनी आंखों को न छूएं और थोड़े-थोड़े अंतराल पर अपने हाथों को साबुन से धोते रहें। इसके साथ ही स्वच्छता और उचित दूरी का अभ्यास करें और बिना हाथ धुले अपने चेहरे को हाथ ना लगाना या आंखों को न रगड़ने जैसी बातों का ध्यान रखना बेहद जरूरी है। यहां तक कि अपने चश्मे को एडजस्ट करने के लिए अपनी उंगलियों की बजाय टिशू का उपयोग करें। ऐसा करने से आप पर संक्रमण का खतरा कम होगा। यदि आप एक बीमार रोगी या संभावित रूप से संक्रमित व्यक्ति की देखभाल कर रहे हैं, तो चश्मा आपकी आंखों को मजबूत रक्षा अवश्य प्रदान करता है।

क्या कान से भी फैल सकता है कोरोना? 

जब आंखों के जरिए कोरोना संक्रमण फैलने की बात हेल्थ एक्सपर्ट्स द्वारा मानी जा रही है तो लोगों के जेहन में यह सवाल भी उठना तय है कि क्या कानों के जरिए भी कोरोना का संक्रमण फैलता है? कानों के जरिए कोरोना का संक्रमण शरीर में फैलना अभी किसी भी तरह से साबित नहीं हो पाया है। साथ ही इसकी संभावना भी ना के बराबर है क्योंकि हमारे कानों के अंदर की त्वचा मुंह के टिश्यूज और नाक के साइनसज़ जैसी नहीं है। कानों के अंदर कैनल की जो बाहरी त्वचा है, वह काफी हद तक हमारी ऊपरी त्वचा जैसी ही है। यही वजह है कि कानों की त्वचा के जरिए कोरोना वायरस हमारे शरीर के अंदर प्रवेश कर पाए इसकी संभावना एकदम ना के बराबर है।

देशभर में कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर के तेजी से फैलने के बीच इससे बचाव के तौर-तरीकों को जानना बेहद जरूरी हो गया है। खासतौर पर संक्रमण के ज्यादा सक्रिय रूप से शरीर के अंदर प्रवेश करने को लेकर निश्चित रूप से हम सबको अधिक सचेत रहने की आवश्यकता है। 

सावधान रहें, सुरक्षित रहें तथा स्वस्थ रहें।