भारत में व्यापक टीकेकरण का अभियान 16 जनवरी से आरंभ हो चुका है। विदित हो कि ऑक्सफोर्ड-एस्ट्रज़ेनेका की विदेशी वैक्सीन कोविशील्ड (ChAdOx-1 or Covishield), जिसे पुणे के सीरम इन्स्टिट्यूट द्वारा तैयार किया जा रहा है तथा स्वदेशी वैक्सीन कोवैक्सीन (Covaxin) जिसे इंडियन काउसिल ऑफ़ मेडिकल रिसर्च (ICMR) के नेशनल इंस्टिट्युट ऑफ़ विरोलॉजी (NIV) ने विकसित किया है तथा जिसका उत्पादन हैदराबाद की कंपनी भारत बायोटेक द्वारा किया जा रहा है, इन दोनों को ही भारत सरकार ने टीकाकरण के लिए मंज़ूरी यानी इमर्जेंसी यूज़ ऑथोराइजेशन (EUA) दी है।
देश में अबतक 3 लाख 81 हजार से अधिक स्वास्थ्यकर्मियों को कोरोना वैक्सीन लगाई जा चुकी है। 18 जनवरी को 1,48,266 (लगभग डेढ़ लाख) लोगों का वैक्सीनेशन किया गया। उत्तर प्रदेश में वैक्सीनेशन के पहले दिन यानी शनिवार 16 जनवरी को राज्य में कुल 22,643 लोगों को कोविड का टीका लगाया गया है। राज्य में वैक्सीनेशन का अगला चरण शुक्रवार यानी 22 जनवरी को पूरा किया जाना है। स्वास्थ्य मंत्रालय ने बताया कि 19 जनवरी तक वैक्सीन के लगने के बाद देश में कुल 580 लोगों में इसका प्रतिकूल प्रभाव (AEFI यानी Adverse event following immunization) देखा गया है। इनमें से सात मामलों में गंभीर लक्षण के चलते उन्हें अस्पताल में भरती करना पड़ा था तथा दो लोगों की मौत हो चुकी है। हालाँकि अधिकारी बताते हैं कि दोनों ही मामलों में मौतों का कारण वैक्सीन नहीं है। उल्लेखनीए है कि इनमें से एक मामला उत्तर प्रदेश के एक वार्ड बॉय का है जिनको वैक्सीन लगने के कुछ घंटों बाद ही सीने में दर्द और सांस लेने में तकलीफ होने लगी थी तथा 24 घंटे के भीतर ही कार्डियो-पल्मोनरी डिसीस के चलते कार्डियोजेनिक/सेप्टिक शॉक से उनकी मौत हो गयी।
गौरतलब है कि टीकाकरण के पहले चरण में स्वास्थ्य कर्मियों (डॉ., नर्स, वार्डबॉय, पैरामेडिकल, आदि) को, दूसरे चरण में फ्रंटलाइन वर्कर्स (राजस्व कर्मी, नगर निगम कर्मी, पुलिस, आदि) को तथा तीसरे चरण में 50 साल से अधिक आयु के लोगों को और फिर चौथे चरण में 50 साल से कम उम्र के उन लोगों को टीका लगाया जाएगा जो किसी गंभीर रोग (शुगर, बी.पी., किडनी, कैंसर और हृदय) से पीड़ित हैं। विशेषज्ञ मानते हैं कि यदि हाई रिस्क वाले इन सभी लोगों में कोरोना संक्रमण को पूरी तरह से रोका जा सका तो शायद अन्य को कोविड-19 वैक्सीन की ज़रूरत ही न पड़े।
स्वदेशी वैक्सीन "कोवैक्सीन" बनाने वाली कंपनी भारत बायोटेक ने अपनी वेबसाइट पर वैक्सीन से संबंधित एक फैक्ट-शीट ज़ारी की है जिसमें उन्होंने लोगों को आगाह किया है कि किन लोगों को इसे नहीं लगवाना चाहिए तथा साथ ही जिन लोगों को यह लग रही है उन्हें वैक्सीन लगवाने के पूर्व क्या-क्या जानकारियाँ साझा करनी चाहिए।
भारत बायोटेक ने अपनी वेबसाइट पर इसके साइड-एफेक्ट्स के बारे में भी विस्तृत जानकारी दी है। वहीं उन्होंने कुछ लोगों के लिए वैक्सीन पूरी तरह से निषेध बताई है जिनमें शामिल हैं:
- ऐसे व्यक्ति जिनका किसी एलर्जी का इतिहास रहा हो;
- जिनको बुखार हो;
- जो किसी रक्तस्राव विकार (ब्लीडिंग डिसॉर्डर) से पीड़ित हों;
- जो खून पतला करने की दवाई ले रहे हैं;
- गर्भवती महिलायें;
- स्तनपान कराने वाली महिलायें; तथा
- ऐसे व्यक्ति जिन्हें कोई गंभीर बीमारी हो।
कंपनी की वेबसाइट के अनुसार जिन लोगों को पूर्व में किसी एलर्जी का इतिहास रहा हो, उन्हें या तो इसे लगवाना ही नहीं चाहिए और यदि लगवाना हो तो उन्हें इसके पूर्व अपने चिकित्सक से सलाह लेनी चाहिए तथा उनकी देखरेख में ही इसे लगवाना चाहिए। इसी संबंध में सीरम इन्स्टिट्यूट ने भी एक सूचना जारी करते हुए लोगों को सचेत किया है।
वैक्सीन लगने के बाद यदि आपको:
- सांस लेने में तकलीफ,
- सीने में दर्द,
- तेज़ धड़कन
- चेहरे पर अचानक सूजन
- गले में सूजन
- पूरे शरीर में दाने
- चक्कर
- उल्टी या कमज़ोरी आदि
badhiya lekh keep liye dhanyavad
जवाब देंहटाएं