कोरोना के विरुद्ध टीकाकरण का इंतज़ार आखिर खत्म हुआ। भारत सरकार द्वारा देशभर में टीकाकरण की तारीख 16 जनवरी निश्चित कर ली गई है।

बीते वर्ष दुनिया की पूरी ऊर्जा COVID-19 महामारी के बचाव के तरीके ढूँढने में ही लगी रही और इसमें कामयाब भी रही। इस तरह विदाई के साथ ही 2020 हमें वैक्सीन का तोहफा देकर गया। 

आज जब हम 2020 को पीछे छोड़ चुके हैं, तो यह पूछना स्वभाविक है कि 2021 में इस महामारी का स्वरूप क्या होगा। क्या विदेशी और देशी वैक्सीन मिलकर हमें इस महामारी से बचा पाएंगे? क्या म्यूटेशन के बाद उपजे कोरोना के नए स्ट्रेन के लिए भी यह उतनी ही असरकारी सिद्ध होगी?

इसका निर्णायक तो समय ही होगा किन्तु फिलहाल तो लंदन से निकले कोरोना के नए स्ट्रेन से न सिर्फ पूरी दुनिया में डर व्याप्त है, वरन कई भ्रांतियां भी फैल गई हैं। हॉलीवुड की फिल्मों में जिस तरह म्यूटेशन का भयानक रुप दिखाया जाता है जिसमें लैब में जन्मा कोई जानवर या जीवाणु पूरी मानवता के लिए खतरा बन जाता है उस लिहाज़ से डरना स्वभाविक भी है। किंतु वास्तव में म्यूटेशन तो जीव-जंतुओं के सतत् विकास की एक सामान्य प्रक्रिया है जिससे जीवन की क्रमिक उन्नति निर्धारित होती है। म्यूटेशन के बिना धरती पर कोई भी जीव नहीं पनप सकता, यहाँ तक कि इंसान भी नहीं।

किंतु SARS-CoV-2 के इस नए स्ट्रेन के संदर्भ में उल्लेखनीए है कि इसका म्यूटेशन सामान्य से थोड़ा ज्यादा है। इस RNA वायरस के स्पाइक प्रोटीन में दो और नए म्यूटेशन (N501Y और H69/V70 Deletion) हुए हैं। वहीं इसके अबतक कुल 23 स्ट्रेन ढूंढे जा चुके हैं।

मानव शरीर की इम्यूनिटी बहुत पेचीदा होती है और व्यापक स्तर पर काम करती है। वायरस की संरचना में थोड़े बहुत बदलाव के बावजूद हमारा शरीर प्राकृतिक तौर पर उसके विरुद्ध युद्ध करना सीख जाता है। यही कारण है कि वायरस के म्यूटेशन के बावजूद इम्यूनोलॉजिस्ट वैक्सीन के असरकारी होने पर भरोसा जता रहे हैं। यदि कोरोना वायरस वैक्सीनेशन के बाद भी अपने क्रमिक विकास में अपना स्वरूप बदलता है तो ही हमें अपने टीकों को अपडेट करना पड़ सकता है, जैसे कि अभी तक फ्लू वायरस के लिए हम करते आए हैं। इससे एक बात तो तय है कि अपने स्वास्थ्य को प्राथमिकता देते हुए हमें इस वायरस के साथ ही जीना सीखना होगा। 

वैश्विक स्तर पर वर्ष 2020 ने अपनी एक ऐसी छाप छोड़ी है जिसे लोग कभी नहीं भूल सकते। कुछ लोगों ने इसे महामारी और विपत्तियों का वर्ष बोलकर कोसा तो कुछ ने इसे नव-जागरण का काल बताकर आत्ममंथन का उपदेश दिया। नज़रिया कोई भी हो किंतु इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता है कि जाते-जाते वर्ष 2020 हमें जीवन की कई ऐसी सीख सिखाकर गया है कि जिन्हें यदि हम अमल में लाएं तो शायद हमारा आगे का जीवन थोड़ा सहज हो पाए। शरीरिक इम्युनिटी के साथ-साथ हमें अपनी मानसिक इम्युनिटी का संतुलन भी बनाए रखना होगा। मन में शांति और प्रेम के भाव के साथ चेहरे पर एक हल्की-सी मुस्कान शायद वैक्सीन के काम को और आसान कर सके।