भारत में कोविड-19 के रोगियों की संख्या 30 लाख के पार हो चुकी है। परिवार एवं स्वास्थ्य मंत्रालय, भारत सरकार, के द्वारा ज़ारी सूचना के अनुसार, दुनिया-भर में कोविड-19 के मामलों में भारत अब अमेरिका और ब्राज़ील के बाद तीसरे स्थान पर आ चुका है। यहाँ राहत की बात यह है कि भारत में कोविड-19 की ठीक होने की दर दुनिया-भर में सबसे अच्छी यानी 75% के आसपास है और वहीं दूसरी ओर औसत मृत्यु दर सबसे कम यानी लगभग 1.87% है। हालांकि वहीं कुछ प्रदेश ऐसे भी हैं जहाँ अन्य प्रदेशों की तुलना में मृत्यु दर अभी भी अधिक बनी हुई है अथवा लगातार बढ़ रही है। ऐसे प्रदेशों में नामित गुजरात, मध्य प्रदेश, पश्चिम बंगाल, महारष्ट्र, तेलंगाना, उत्तर प्रदेश, पंजाब आदि हैं जिनमें मृत्यु दर अन्य प्रदेशों की अपेक्षाकृत अधिक है।
नववर्ष 2020 की शुरुआत में ही नॉवेल कोरोना वायरस ने चीन के वुहान शहर से निकलकर पूरी दुनिया में एक हिंसक महामारी का रूप ले लिया था। भारत में कोविड-19 को फैलने से रोकने के लिए 25 मार्च से शुरू हुए देशव्यापी लॉकडाउन को लागू करने में पुलिस एवं प्रशासन ने कोई कसर नहीं छोड़ी थी। लॉकडाउन के नियमों का उल्लंघन करने पर पुलिस ने लाठी चलाने से लेकर उठक-बैठक करवाने तक के तरीके आजमाए। मई के अंत में जब लॉकडाउन का चौथा दौर शुरू हुआ, तब तक देश में स्थिति काफी हद तक संभली हुई थी और रिकवरी रेट यानी ठीक होने की दर भी चरम पर थी। किंतु अब देश नॉवेल कोरोना वायरस के संक्रमण के दूसरे (संभवतः तीसरे) दौर का सामना कर रहा है और बीते 18-20 दिनों से रोज़ाना सबसे अधिक कोविड-19 के मामले दर्ज किए जा रहे हैं।
यहाँ विशेष ध्यान देने लायक बात यह है कि 7 अगस्त 2020 को देश में इस वैश्विक महामारी के 20 लाख से अधिक मामले थे और ठीक 15 दिन के भीतर ही यह मामले 30 लाख के पार हो चुके हैं। निश्चित ही दिन-प्रतिदिन स्थिति चुनौतीपूर्ण होती जा रही है। यही नहीं आधिकारिक सूत्रों के नवीनतम अनुमानों के अनुसार भारत में कोविड-19 की इस महामारी का प्रकोप लगभग दो सप्ताह में अपनी चरम सीमा पर पहुँच सकता है।
चर्चा है कि भारत समेत दुनियाभर के वैज्ञानिक कोविड-19 के विरुद्ध वैक्सीन विकसित करने में दिन-रात जुटे हुए हैं। किंतु दूसरी ओर यह संक्रामक वायरस भी अपना रूप बदल रहा है। मलेशिया में कोरोना वायरस के म्यूटेशन से पैदा हुआ एक खास तरह का स्ट्रेन चिंता का नया कारण बन गया है। ऐसे में सवाल उठता है कि यदि कोरोना वायरस इसी तरह म्यूटेशन से अपना नया वर्जन बनाता रहा तो क्या वह वैक्सीन नए-नए स्ट्रेन के वायरस की रोकथाम के लिए प्रभावी होंगे?
यही कारण है कि तेज़ी से फैल रहे नॉवेल कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए जैसे-जैसे वैक्सीन की दौड़ तेज़ हो रही है वैसे ही दूसरी ओर शोधकर्ता और डॉक्टर इस संक्रमण का संभावित वैकल्पिक उपचार होमियोपैथी में भी तलाश रहे हैं।
होमियोपैथी एक बहुत ही लोकप्रिय एवं जनसाधारण के लिए सुलभ चिकित्सा पद्धति है। महामारी के उपचार में होमियोपैथी का एक उत्साहवर्धक इतिहास रहा है। ऐतिहासिक दस्तावेजों के अनुसार हैजा, टाइफस, स्कार्लेट फीवर, प्लेग इत्यादि जैसी जानलेवा महामारियों के बचाव एवं उपचार में होमियोपैथी का उत्कृष्ट योगदान रहा है। वर्तमान में यह सबसे तेज़ी से विकसित हुई एक सशक्त, कारगर एवं संपूर्ण चिकित्सा प्रणाली के रूप में उभरी है। यह विश्व की दूसरी सबसे ज़्यादा उपयोग की जाने वाली चिकित्सा प्रणाली है। भारत में 10 करोड़ से भी अधिक लोग अपनी स्वास्थ्य सेवाओं के लिए पूरी तरह से होमियोपैथी पर निर्भर हैं।
होमियोपैथी में किसी भी महामारी का उपचार मुख्यतः दो प्रकार से होता है –
- निरोधक उपचार (प्रिवेंटिव ट्रीटमेंट) यह महामारी की रोकथाम के लिए उससे बचाव के लिए किया जाता है। होमियोपैथिक औषधियाँ आर्सेनिक-अल्बम, ब्रायोनिया, कैम्फर, यूपीटोरियम-पर्फ, जैलसीमियम, इनफ्लूएनज़ीनम, इत्यादि कोविड-19 की निरोधक औषधियों (प्रिवेंटिव) के रूप में प्रसिद्ध हैं।
- निवारक उपचार (क्यूरेटिव ट्रीटमेंट) यह रोग हो जाने के बाद उसके प्रमुख लक्षणों के आधार पर किया जाता है। लक्षणों के आधार पर आर्सेनिक-अल्बम, ब्रायोनिया, नाजा, लैकिसिस, इत्यादि कई तरह की दवायें कोविड-19 के उपचार में प्रयोग की जा सकती हैं।
दोनों ही स्थिति में होमियोपैथिक दवा आसानी से घर पर ही ली जा सकती है किंतु बिना किसी योग्य चिकित्सक की सलाह से किसी भी औषधि का सेवन करना हितकर नहीं है। अतः स्वयं अपना उपचार करने से परहेज़ करें और अपने होमियोपैथिक चिकित्सक की सलाह लें। ऑनलाइन परामर्श के लिए हमसे संपर्क करें।
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